संक्षिप्त जीवन चरित

श्री हरिहर भोले भगवान छोटे दादाजी महाराज

श्री छोटे दादाजी मूलतः राजस्थान के डिंडवाना ग्राम के थे उनका नाम भोरिलाल था .इनके माता पिता का बचपन में ही निधन हो गया था तथा परिवार में केवल एक बड़ी बहन थीं . गुरु की तलाश में वे एक दिन काशी की ओर निकल पड़े, ट्रेन में दादाजी की महिमा सुनकर बाबई स्टेशन पर उतर कर पैदल ही साईं खेडा पहुंचे एवं दादाजी की शरणागत हुए .

दादाजी ने उनका नाम हरिहरानंद रखा तथा उनके आशीर्वाद से हरिहरानंद जी को अलौकिक शक्तियां प्राप्त हुई तत्पश्चात वे बड़े दादा जी की सेवा एवं लोक कल्याण के कार्यों में लग गए ,धीरे धीरे वे छोटे दादाजी के नाम से विख्यात हो गए .

श्री बड़े दादाजी के साथ ही वे साईं खेडा से उज्जैन ,बडवाह होते हुए खंडवा पहुंचे तथा १९३० में श्री बड़े दादाजी के समाधिस्थ होने के बाद १९३० से उन्होंने ही श्री दादा दरबार खंडवा का उत्तरदायित्व संभाल लिया.