श्री दादाजी महाराज के मंदिर में प्रतिदिन चार बार आरती होती है.श्री दादाजी महाराज के समक्ष माँ नर्मदा जी की आरती गायी जाती है एवं दादाजी का सिर्फ नाम भजा जाता है.
जय जगतानंदी, हो मैया जगतानंदी, हो रेवा जगतानंदी
ब्रम्हा हरिहर शंकर, रेवा, शिव हरिशंकर, रूद्री पालंती
हरिओम् जय जगतानंदी....
देवी नारद शारद, तुम वरदायक, अभनभ पद्चंडी|
हो मैया अभनभ पद्चंडी, हो रेवा अभनभ पद्चंडी
सुरनर मुनि जन सेवत, सुरनर मुनि जन सेवत
शारद पद्वंती, हरिओम् जय जगतानंदी
देवी धूम्रक वाहन राजत वीणा वाजंती
हो मैया वीणा वाजंती, हो रेवा वीणा वाजंती
झुम्कत झुम्कत झुम्कत, झननन झननन झननन
रमती राजंती, हरिओम् जय जगतानंदी
देवी बाजत ताल मृदंगा सुर मंडल रमत
हो मैया सुर मंडल रमती, हो रेवा सुर मंडल रमत
तोड़ीताम् तोड़ीताम्, तुरड़ड़ तुरड़ड़
रमती सुरवंती हरिओम् जय जगतानंदी
देवी सकल भुवन पर आप विराजत निसदिन आनंदी
हो मैया सब युग आनंदी, हो रेवा युग युग आनंदी
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा शंकर तुम भव् मेटन्ति
हरिओम् जय जगतानंदी
मैया जी की आरती जो नर पढ़ गावे
हो मैया आनंद पढ़ गावे, हो रेवा युग युग पढ़ गावे
भजत शिवानंद स्वामी, अहरी जपत हरिहर स्वामी मन इच्छा फल पावे
हरिओम् जय जगतानंदी
हरिओम् जय जगतानंदी
जय जगतानंदी, हो मैया जगतानंदी, हो रेवा जगतानंदी
ब्रम्हा हरिहर शंकर, रेवा, शिव हरिशंकर, रूद्री पालंती
कर्पूर गौरम् करुनावतारम| संसार सारम भुज्गेंद्र हारम्
सदा वसंतम हृदयारविंदे भवं भवानी सहितं नमामि
मंदार माला कुलिक्ताल काए कपाल माला सशी शेखराय
दिव्यम्बराय च दिगामबराय नमः शिवाये च नमः शिवाये
ओम् शिव हरिहर शंकर गौरीशाम्| वंदे गंगा धर्मीषम्
शिव रुद्रं पशुपति मीशानम्| कलहर काशी पुर्नाथम्
भज पारलोचन परमानंदा नीलकंठा तुम शरणम्
भज असुर निकंदम्, भव् दुःख भंजन, सेवक के प्रतिपाला
बम आवागमन मिटाओ दादाजी, भज शिव बारम्बारा
निम्न पंक्तियों को तीन बार कहकर आरती उतारना
॥ॐ॥श्री गौरीशंकर महाराज की जय ।
श्री धूनीवाले दादाजी की जय ।
श्री हरिहर भोले भगवान की जय ।
श्री मातु नर्मदे हर हर हर
बोल सच्चे दरबार की जय|
बोल अटल छत्र की जय|
नमः पार्वतीपते हर हर महादेव|